अच्छे पत्रकारों को कलंकित कर रहे हैं फर्जी पत्रकार और घूम रहे हैं बहरूपिया बनकर
सूत्र कुछ तथाकथित राजनेताओं के चाटुकार पत्रकार आजकल अपना संस्कृत का अखबार निकाल रहे हैं जिसको संस्कृत के स विषय का भी ज्ञान नहीं है अब वह संस्कृत का अखबार निकाले तो यह एक बड़ी विडंबना है इस तरह के फर्जी पत्रकारों और फर्जी समाचार पत्रों पर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही की जानी चाहिए और यह पता किया जाना चाहिए कि एक ही सांचे में हजारों की संख्या में समाचार पत्रों को छापने का ये धंधा कहां फल फूल रहा है और ये पेपर किस तरह से कहां पर छापे जा रहे हैं जो कि मानक के विपरित है शासन की नियमावली में समाचार पत्रों को छपने का और छापने का बकायदा मानक नियम तय है तो फिर आखिर शासन प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से इस तरह के अखबार कब कहां कैसे छप रहे हैं इस पर जांच होनी चाहिए सुनने में आ रहा है कि लेनदेन करके हजारों की संख्या में एक ही कंटेंट बनाकर पेपरों को छापने का काम किया जा रहा है और इसके तार लखनऊ से जुड़े हुए हैं इस पर जल्द जल्द जांच जांच होनी चाहिए अन्यथा इससे विशुद्ध पत्रकार और पत्रकारिता दोनों दूषित हो रही है और भ्रामक प्रचार प्रसार भी बढ़ रहा है जो कि समाज और देश हित में नहीं है ऐसे लोगों को तत्काल चिन्हित कर इन पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए और तो और कुछ ऐसे अपराधी भी पत्रकार बने घूम रहे हैं जिनके ऊपर सबसे सख्त कार्रवाई हो चुकी है मगर वह पत्रकार का जामा इसलिए पहन लिए ताकि उनको प्रशासन का कोई भी व्यक्ति पहचान ना पाय और उन बहरूपियों का साथ कुछ समुद्र के बड़े मगरमच्छ भी दे रहे हैं और अपनी स्टेपनी बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं