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अमेरिका का जेट इंजन की 100 प्रतिशत टेक्नोलॉजी भारत के साथ शेयर करने पर सहमत होना. ये वो तकनीक है जो भारत को मिलने के बाद दुनिया के 5 देशों के पास होगी

संवाददाता-अजीत पाण्डेय

आत्मनिर्भरता: अब निखरेगा तेजस का तेज, विकसित देशों की कतार में होगा भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जेट इंजन की 100 प्रतिशत टेक्नोलॉजी भारत को देने पर यूएस का सहमति जताना एक बड़ी बात है. ये पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए भी बहुत जरूरी है.

अमेरिका का जेट इंजन की 100 प्रतिशत टेक्नोलॉजी भारत के साथ शेयर करने पर सहमत होना. ये वो तकनीक है जो भारत को मिलने के बाद दुनिया के 5 देशों के पास होगी

■ वायुसेना को मजबूत बनाने वाले फाइटर जेट, लड़ाकू हेलीकॉप्टर इत्यादि के लिए भारत अब भी दूसरे देशों पर निर्भर है. इसमें अमेरिका, रूस और फ्रांस शामिल हैं. ऐसे में उसके पास जेट इंजन की तकनीक आने से उसे अपने फाइटर जेट बनाने में मदद मिलेगी.
■ भारत ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस एमके1 को घरेलू स्तर पर बनाया है. लेकिन असल समस्या इसके इंजन की है, जो भारत खुद नहीं बनाता बल्कि इसका उसे आयात करना पड़ता है.
■ जीई एरोस्पेस ने सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ अब एक समझौताा किया है. समझौते के हिसाब से दोनों कंपनियां आपस में मिलकर जेट इंजन का भारत में ही निर्माण करेंगी. ये जेट इंजन जीई414 होगा.
■ इससे भी बड़ी बात इस समझौते की ये है कि इसमें अमेरिका जेट इंजन की तकनीक भारत को देगा, जो कई कोशिशों के बाद चीन को भी हासिल नहीं हो सकी.
■ साल 1986 में जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) ने एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ काम करना शुरू किया था.
■ इस साझेदारी में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (तेजस) और एफ404 इंजन का विकास हुआ. इसी के साथ जीई के एफ404 और एफ414 इंजन एलसीए एमके1 और एलसीए एमके2 का हिस्सा बन गए.
■ अब 75 एफ404 इंजन की डिलीवरी हो चुकी है, जबकि 99 का ऑर्डर एलसीए एमके1ए के लिए ऑर्डर कर दिए गए हैं. वहीं 8 एफ414 इंजन डिलीवर हो चुके हैं जो मौजूदा समय में तेजस के अपग्रेड वजर्न एलसीए एमके2 के डेवलपमेंट के लिए चाहिए.
■ अगर जेट इंजन की तकनीक भारत को मिल जाती है, तो इन इंजन का प्रोडक्शन बढ़ाया जा सकेगा. वहीं घरेलू लेवल पर बनने से इनकी लागत भी कम आएगी.
■ इतना ही नहीं अमेरिका के मुकाबले भारत में इंजन बनाने की कम लागत की वजह से इसका निर्यात करना भी आसान होगा, जबकि टेक्नोलॉजी हासिल होने की वजह से भारत सीधे तौर पर भी ऑर्डर लेकर निर्यात कर सकेगा.

इस इंजन के साथ भारत दुनिया की पांचवी महाशक्ति बन जाएगा जो जेट फाइटर इंजन का निर्माण करेगा. अबतक केवल अमेरिका, ब्रिटेन, रुस और फ्रांस इस सेक्टर में है. यहां तक टेक्नॉलिजी का दिग्गज खिलाड़ी समझे जाना वाला चीन भी जेट इंजन का खुद निर्माण नहीं करता है.

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