तस्वीर में अखिलेश जी हैं
पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे, स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री, सासंद
विदेश से पढ़कर आए हैं। इसके बाद भी पिछड़े हैं।
पिछडों के नेता हैं।
तस्वीर में दूबे परिवार का घर है
घर के पांच सदस्यों की हत्या कर दी गई।
एक बालक बचा जो दूसरे गांव में कथा कराने गया था ताकि छोटे भाई को जन्मदिन पर कुछ खिला सके। वो छोटा भाई भी घायल था जो बाद में बच गया।
पीछे देखिए टीन-छप्पर का घर, छोटी सी पुरानी TV, पुराने बक्से, बक्से के ऊपर एक बैग, कुछ साड़ियाँ, बक्से के अंदर मृतक माँ ने कुछ साड़ियाँ, बच्चों के कुछ कपड़े, कौड़ी, कुछ पैसे रखे रहे होंगे।
इसके बाद भी यह बच्चे अगड़े कहलाएंगे, इनकी दो रुपए की फीस भी कभी माफ नहीं होगी। इनके लिए मैरिट ऊपर रहेगी। ब्राह्मणवाद की गालियां खाएंगे। जो कथा, पूजा करके दक्षिणा मिलेगी उसका उपहास झेलेंगे। इनके परिवार के नरसंहार पर कोई आयोग रिपोट नहीं भेजगा क्योंकि ऐसा कोई आयोग है ही नहीं। अभी यह सारा जीवन संस्थागत भेदभाव झेलेंगे। विदेशी यूरेशियन आर्य कहलाएंगे।
इसके बाद भी यह यकीन मानिए यह नक्सली नहीं बनेंगे।
दो बोरी चावल पर धर्म नहीं बदलेंगे।
शोषित, वंचित का राग अलाप कर अपने पूर्वजो को गाली नहीं देगा !!