वसई विरार शहर भाजपा में चल रहे अंतर्कलह से आगामी चुनावों चुनावों में हो सकता है नुकसान
भारतीय जनता पार्टी वसई विरार शहर
वसई : वसई विरार शहर भाजपा पक्ष में पिछले कई महीनों से चल रहा गुट बाजी अब अंतर्कलह में तब्दील हो गया है। यदि समय रहते उक्त अंतर्कलह को शांत नही किया गया तो आगामी वर्ष 2024 में होनेवाले चुनावों में पक्ष को भारी नुकसान होने का अंदेशा जताया जा रहा है। शायद आपसी गुटबाजी की वजह से ही शहर में भाजपा को जिस प्रकार से अब तक उभर कर एक बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित होना चाहिए था वह नही हुआ। भाजपा के क्षेत्रीय वरिष्ठ नेताओं द्वारा लगातार शीर्ष नेताओं पर अनदेखी करने का आरोप लगाया जाता रहा है। इसी क्रम में क्षेत्रीय भाजपा नेता विजयप्रकाश दुबे का कहना है कि वसई विरार भाजपा में बढ़ रही गुट बाजी, अकारण कर्मठ और वरिष्ठ उत्तर भारतीय नेताओं की बार बार अनदेखी और गैर पार्टियों से आए हुए लोगों को वरीयता देना व यहां तक कि उनके आफिस में बैठकर जी हजूरी करने वालों को उच्च पद से नवाजना अथवा जमीनी स्तर पर काम न करके सिर्फ कागज पर काम करना, प्रदेश के वरिष्ठों को गुमराह करते हुए अपने लोगों को पद से सम्मानित करना कितना उचित है..?? क्या यह पार्टी के प्रति बेवफाई नही है..?? वसई विरार शहर में यदि इसी प्रकार से पार्टी चलती रही तो वह सिमटकर सिर्फ नाम मात्र की ही रह जाएगी, क्योंकी मौजूदा स्थिति में जिस प्रकार से पार्टी चल रही है वह आम जनता के हितार्थ काम नही कर रही है बल्कि पार्टी के नाम से गोरख धंधे की आमदनी करके अपनी रोजी रोटी चला रही है। सही मायने में देखा जाय तो यहां के सबसे वरिष्ठ और पार्टी के प्रति वफादार जोगेंद्र प्रसाद चौबे, वरिष्ठ नेता राजेंद्र ठाकुर, मंडल अध्यक्ष रह चुके अजीत स्थाना वसई विरार जिला अध्यक्ष बनने के प्रबल दावेदार थे। लेकिन ऐसे नेताओं को जिला अध्यक्ष तो दूर की बात उन्हे पद से मुक्त कर दिया गया। इसी प्रकार वरिष्ठ नेता रह चुके नवल किशोर मिश्र और विजयप्रकाश दुबे वार्ड सचिव से लेकर मोर्चे में मंडल महामंत्री, दो बार उत्तर भारतीय मंडल प्रमुख, दो बार जिला प्रमुख और भाजपा जिला उपाध्यक्ष रह चुके है मंडल से लेकर जिला तक अच्छे कार्य किए। किंतु उन्हें भी पार्टी द्वारा दरकिनार कर दिया गया।