सफ़ेद हाथी जैसा विकास देखना है तो गाजीपुर थाने के मनीपुर गांव जरूर जाये….!
? ग्राम समाज की जमीन व मार्गो पर जगह-जगह मिल जाएंगे अतिक्रमण
? लेखपाल व ग्राम प्रधान की सहमति से धड़ल्ले से जलाई जा रही पराली
? अगर जमीनी स्तर पर कर ली जाए जांच तो नप जाएंगे ग्राम प्रधान व सेक्रेटरी
? ग्रामीणों ने कहा- नाला निर्माण के नाम पर किया गया बड़ा घोटाला
? फतेहपुर विकास कार्यों के नाम पर महिला ग्राम प्रधान के पति व सेक्रेटरी द्वारा कितने बड़े पैमाने पर धांधली की गई है अगर इसकी बानगी देखना है तो गाजीपुर थाना क्षेत्र के मनीपुर गांव जरूर जाएं। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी समेत अन्य उच्च अधिकारियों को भेजे गए शिकायती पत्र में गांव के विकास कार्यों की जमीनी हकीकत बयां करते हुए अभी तक कराए गए सभी विकास कार्यों का लेखा-जोखा जाँचने की मांग की है। बात केवल यही पर खत्म नहीं होती ग्रामीणों का कहना है कि जो ग्राम प्रधान की हां में हां मिलाता है उसके सौ गुनाह माफ और जिसने इसकी खिलाफत कर दी वह उसका दुश्मन..! ग्राम प्रधान पति के द्वारा अपने चहेतों को जहां ग्राम समाज की जमीन पर मकान बनाने की अनुमति प्रदान की गई है। वहीं इस पूरे मामले में स्थानीय लेखपाल व सेक्रेटरी की भूमिका भी मिली जुली सरकार जैसी दिखती है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम प्रधान पति ने गांव के नाला निर्माण के नाम पर बड़ा घोटाला किया है जिसका जीता जागता सबूत ढूंढने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं केवल मनीपुर गांव आ जाएं हकीकत खुद-ब- खुद स्पष्ट हो जाएगी। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बड़े पैमाने पर धान की फसल काटने के बाद बचे पैरे को खेत में ही बड़े पैमाने पर ग्राम प्रधान के चहेतों द्वारा नष्ट किया जा रहा है। बताया कि इसकी शिकायत मौखिक रूप से लेखपाल से भी कई बार की गई, किंतु शायद लेखपाल की भी पराली जलाने के मामले में ग्राम प्रधान के चहेतों को मौन सहमति प्राप्त हो चुकी है, जिसकी वजह से आज तक किसी के भी खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है…! इसके अलावा मनीपुर गांव में बड़े पैमाने पर ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा कर मकान का निर्माण भी कराया गया है और इतना ही नहीं जगह-जगह मार्गों पर ग्राम प्रधान के चाहतों ने कब्जा भी कर रखा है जिसकी वजह से लोगों को जहां आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है वहीं विरोध करने पर लड़ाई- झगड़ा समेत झूठे मुकदमे में फसाने की धमकी भी दी जाती हैं। गांव का स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के कारण स्थानीय पुलिस भी उन लोगों की कोई सुनवाई नहीं करती है।