मुम्बई __
दमदार 24न्यूज़ _
शख्स और शख्सियत
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रतन टाटा जी एक ऐसे शख्स और उनकी शख्सियत थी जिनको समझाना बहुत ही मुश्किल था ।। रतन टाटा जी एक आदर्श ,महान और अद्वितीय शख्सियत के मालिक थे । वह बहुत ही सीधा , सरल, सहज और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । वह बहुत जमीन से जुड़े व्यक्ति थे । रतन टाटा जी* औद्योगिक क्षेत्र के एक चमकता हुआ सूरज थे ।। उन्होंने औद्योग जगत में एक ऐसा नाम ,शोहरत, पैसा और इज्जत की मिसाल पेश की जिसके लिए आने वाली पीढ़ियां हमेशा ललायित रहेगी। रतन टाटाजी उद्योग क्षेत्र में सुई से लेकर हवाई जहां तक के उद्योग का निर्माण किया । उन्होने टाटा मोटर्स को न्यूयार्क स्टाक एक्सचेंज में भी लिस्टेड करवा दिया। वह बहुत ही दयालु प्रवृत्ति के थे ।। उन्होंने रूलर इनिटिव , बहुत सारे धर्मार्थ ट्रस्टों में और टाटा कैंसर इंस्टिट्यूट जो कि मुंबई में स्थित है का प्रतिपादन किया।। उनके समूह के द्वारा ना जाने कितने गरीब प्रतिभावान छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है और जिसके द्वारा वह अपना वह छात्र अपना सपना पूरा करते हैं । रतन टाटा जी अपनी कमाई का , मुनाफे का 65 प्रतिशत धर्मार्थ कार्यों में वितरित कर देते थे । वह एक महान राष्ट्रभक्त भी थे । भारत राष्ट्र पर किसी भी प्रकार का कोई भी विपत्ति आती है उसमें रतन टाटा जी का भरपूर सहयोग हुआ है । कोविड में करोड़ों रुपए प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा किया । बाढ़ राहत कोष में जमा किया और न जाने कितने धर्म टष्ट जमा की।। वह देश के हर विपत्ति मे उपस्थित रहते थे। वह विश्व के विश्वविद्यालय के शिक्षा यूनिवर्सिटिययों के बोर्ड ऑफ मेंबर भी रहे ।। रतन टाटा जी आम जनता की जो सबसे अंतिम लाइन में थे उनको भी सुख सुविधा लाने के लिए टाटा नैनो टाटा, इंडिका जैसी कारों का लॉन्च किया जो एक भी सामान्य कमाई रखने वाला भी खरीद सकता था ।। टाटा जी अपने आलोचकों को बहुत गंभीरता और सहजता से लेते थे और उसका उत्तर भी दोगुनी रिटर्न के साथ देते थे ।। रतन टाटा जब 1991 में अध्यक्ष पद का संभाला तब उनके आलोचकों ने कहा उनके पास अनुभव नहीं है वह* *इतने बड़े समूह को कैसे आगे बढ़ाएंगे ।। इस आलोचना को उन्होंने पूरी तरह से मिथ्या साबित किया और अपने पूरे कार्य कल में टाटा समूह को विश्व व्यापी बना दिया। हर क्षेत्र में अभूत पूर्ण सफलता और प्रसिद्ध दिलायी । टाटा समूह भारत का सबसे प्राचीन उद्योग है । अंग्रेजों के समय से बिजनेस करते चले आ रहे हैं और आज तक उपस्थित है । टाटा बहुत ही जमीन से जुड़े व्यकित थे ।। उनके अंदर अहंकार का एक रत्ती भी अंश नहीं था ।।टाटा जब किसी मीटिंग में लेट हो जाते थे तो अपने ड्राइवर को स्वयं फोन करके कहते हैं आप मत आइएगा ,आज लेट हो गया है आप अपने घर को चले जाये। मैं स्वयं गाड़ी चला करके आ जाऊंगा ।। ऐसे धनाढय और धन, संपदा ,प्रसिद्ध से भरे,कुबेर के खजाना में रहने वाले अगर इस तरह दया भाव ,प्रेम भाव, सम्मान भाव अपने ड्राइवर को दिखा सकता है तो वह भारत मां के प्रति कितना सचेत,समर्पित और भावार्पित होंगे इसके अंदाजा लगाना है मुश्किल है ।। रतन टाटा जी एक निर्विवाद उद्योगपति थे । जिनके जीवन में किसी प्रकार का कोई कलंक नही था । आज तक कोई भी राजनीतिक पार्टी उनके ऊपर चाहे पक्ष का हो या विपक्ष का एक शब्द भी नहीं बोलता क्योंकि वह सब के साथ समान भाव से काम करते थे वह किसी से आशा नहीं बल्कि देश को कुछ ना कुछ देना चाहते थे।। ऐसे उद्योगपति का निधन एक अपने आप में अपूर्ण छति है ।