आजकल मार्केट में अनेक सनातन कंपनियों के तरफ से भी लोबान धूप या अगरबत्ती बेचा जा रहा है

रिपोर्ट-अजीत पाण्डेय
आजकल मार्केट में अनेक सनातन कंपनियों के तरफ़ से भी “#लोबान” धूप या अगरबत्ती बेचा जा रहा है। गलती से मैंने भी ख़रीद लिया और जलाता था क्योंकि इसकी सुगंध बहुत अच्छी थी लेकिन बाद में पता चला कि लोबान कभी भी घर के अंदर या एक हिंदू धर्म का पालन करने वाले को नहीं जलाना चाहिए। लोबान का चलन मज़ारो की पूजा करने वाले लोगों ने फैलाया है। आप कहोगे कि “फैलाने” का क्या मतलब है? सबसे पहले तो आपने ये स्वीकार करना चाहिए कि सुगंध आदि का प्रयोग सनातन धर्म में भी होता है ताकि आपके इष्ट देव प्रसन्न हो सकें जैसे कि धूप, घी, शहद, केसर, अगर, तगर, चंदन, इलायची, जायफल, जावित्री, छड़ीला, कपूर, कचरी, आदि। आरती दिखाने का कार्य भी यही होता है कि कपूर से निकला धुआँ घर के कोने कोने में फेल जाये और नेगेटिविटी ख़त्म हो। अब देखना चाहिए कि लोबान का उपयोग कहाँ पर होता था। लोबान का उपयोग मज़ारों पर होता था और आज भी होता है। मज़ार याने मुर्दा जो वहाँ दफ़्न है याने मुर्दे को जगाने हेतु या उसकी शक्ति का उपयोग करने हेतु यह किया जाता है। मुर्दा याने प्रेत योनि के लोग। हम जिस प्रेत याने पितर के कोहराम से बचने हेतु पितृपक्ष के दौरान सारे कर्म कांड करते हैं उल्टा उन प्रेतों को लोबान जला कर आकर्षित कर रहे हैं । मज़ारों पर लोबान ही क्यों जलाया जाता है ? क्योंकि लोबान के सुगंध से सैय्यद प्रसन्न होते हैं, पीर प्रसन्न होते हैं, जिन्न – जिन्नात प्रसन्न होते हैं और धीरे धीरे क्या होगा आपके घर से आपके कुल देवी, या देवता हट जाएँगे व ग़लत शक्तियों का डेरा लगना शुरू हो जाएगा। इसका मतलब ये नहीं होता कि आपके ऊपर अचानक से कुछ आफ़त आ जाएगी। ये भी नहीं होगा क्योंकि जो बुरी शक्तियाँ आयी हैं वह भी आपको बहुत तरह के फ़ायदे पहुँचाती है लेकिन एक दो साल के बाद आ