कीटगंज के एक कोटेदार उपभोक्ताओं से प्रति कार्ड १० रुपये मांगते थे
और फ़रवरी माह मे गंदा राश्न् वितरण के संदर्भ मे मैने आपत्ति की, तो मुझे कहा गया, मुहल्ले के हो, छोड़ दे रहे है, वरना पटक के मारते। मैने इसकी लिखित शिकायत राशन इस्पेक्टर शालिनी चतुर्वेदी जी को दी। तो इन्होने बोला कि वह कोटेदार के यहां आएँगी, और मुझे बुलाएंगी। लेकिन वो न आयी और न बुलाई। बाद मे कहने लगी कि मै गई थी तो कुछ लोगो ने कहा पैसे लेता था, अब नही लेता। मैने पूछा आपने मुझे बुलाया क्यू नही, तो जवाब मिला कि मुझे याद् नही था। फिर कहने लगी कि वो बीमार था, इस वजह से उसे माफ़ कर दीजिये। इन सारी बातो की रिकार्डिंग मेरे पास है। पैसे माँगने की वीडियो भी मेरे पास है,ये वीडियो मै शालिनी चतुर्वेदी जी को बतौर सबूत दे भी चुका हूँ ।
जन सुनवाई पोर्टल पर कार्यवाही करने के बाद उन्होंने केवल 5000rs. का जुर्माना कोटेदार पर लगाया। क्या ये जुर्माना काफी है। कितने महीनो या कितने सालो से तौलने के लिए १० रुपये लिए होंगे, कितने सालो से कम राशन तौला होगा। मेरी तरह कितनो को धमकी दी होगी। क्या सिर्फ ५००० का जुर्माना काफी है। क्या उक्त कोटेदार का लाइसेंस निरस्त नही होना चाहिएं, क्या उक्त राशन इस्पेक्टर पर कार्यवाही नहि होनी चाहिए, जो माफ़ कर देने की वकालत कर रही है। जबकि ऑडियो मे वो खुद कई चीजों को स्वीकार कर रही है।
क्या करना चाहिए, आप सभी उचित मार्गदर्शन करे।
विश्वजीत जायसवाल
मंत्री(भाजपा कीटगंज मंडल)