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फतेहपुर के विकास दुबे को स्नैक फोबिया, सांप ने 7 बार नहीं सिर्फ 1 बार ही काटा

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फतेहपुर के विकास दुबे को स्नैक फोबिया, सांप ने 7 बार नहीं सिर्फ 1 बार ही काटा ।

सांप काटने के इस मामले ने सभी को चौंका दिया था. यह तो जिला प्रशासन ने समझदारी दिखाकर जांच करा ली, नहीं तो तमाम तरह की अफवाहें इसकी वजह से बढ़ती जातीं ।

सांप के काटने की इस कहानी में बहुत सी सीख भी है.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर निवासी विकास दुबे के मामले में दिलचस्प बात सामने आई है. जांच में पता चला है कि उसे स्नैक फोबिया है. सांप ने उसे 7 बार नहीं सिर्फ 1 बार ही काटा था. वह 6 बार स्नेक फोबिया का शिकार हुआ था. स्वाथ्य विभाग की टीम ने आज जिलाधिकारी को यह जांच रिपोर्ट सौंपी है. जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था. रिपोर्ट में प्राइवेट हॉस्पिटल के इलाज पर संदेह जताया गया है.

क्या था दावा
फतेहपुर के सौरा गांव निवासी विकास दुबे ने दावा किया था कि उसे 40 दिनों में सात बार सांप ने काटा है. इस घटनाक्रम ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंका दिया, बल्कि वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया. उसने दावा किया कि पहली बार विकास को जब सांप ने काटा, तब वह अपने खेत में काम कर रहा था. इसे सामान्य घटना मानकर इलाज किया गया, लेकिन इसके बाद हर कुछ दिनों में उसे सांप काटता रहा. हर घटना बाद विकास फतेहपुर के एक निजी अस्पताल में जाता था. वहां उसे एंटी-वेनम इंजेक्शन सहित उसकी गंभीर देखभाल की जाती थी. विकास दावा करता था कि उसे एक ही फन वाले सांप ने कई बार काटा है. इस घटना की फिर प्रशासन ने जांच की.

क्या है स्नैक फोबिया
फोबिया तर्कहीन डर को कहते हैं. किसी चीज से बहुत ज्यादा डर जाने के बाद फोबिया हो जाता है. विकास को भी सांप के एक बार काटने के बाद स्नैक फोबिया हो गया. उसे बार-बार लगता था कि वह सांप दोबारा आ गया और उसे डस लिया. इसी कारण उसने सभी को बताया कि उसे 40 दिनों में एक फन वाले सांप ने ही सात बार डस लिया है. हर बार जब उसे ऐसे लगता था तो वह अस्पताल भी चला जाता था. जहां बिल बनाने के लिए उसका इलाज भी कर दिया जाता था. इससे विकास के भ्रम को और बढ़ावा मिला और उसे लगने लगा कि सच में सांप ने डसा है. अगर पहली बार ही निजी अस्पताल वाले उसे बता देते कि उसे सांप ने नहीं डसा है तो शायद इतने दिनों तक वह डर में नहीं रहता. जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी की जांच में यही बात आई है. ।

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