पुराणों में तांबे के आविष्कारक
रिपोर्ट-अजीत पाण्डेय
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इतिहास को लेकर पुराणों के विवरणों व आधुनिक विज्ञान में कोई विरोधाभास नहीं हैं।
पार्जिटर को छोड़कर कोई भी इतिहास को इस दृष्टिकोण से न देख सका यहाँ तक कि वामपंथी इतिहासबोध से आतंकित भारतीय इतिहासकार भी नहीं, बात बस इतनी सी है।
पुराण स्वयं मानते हैं कि सभ्यता का प्रारंभ कोई यकायक नहीं बल्कि एक क्रमिक विकास का परिणाम था जिसमें तांबे की खोज ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह मानवता की एक लंबी छलांग थी।
पुराणों में उस महान विष्णुभक्त असुर का विवरण दर्ज है जिसने अपने शरीर को गला-गलाकर संसार को ‘ताम्र’ देकर सभ्यताओं को ‘धातु युग’ में प्रविष्ट कराया।
इसलिये ‘अनंसंग हीरोज’: #इंदु_से_सिंधु_तक केवल अनजान हिंदू योद्धाओं की वीरगाथा मात्र नहीं है बल्कि पामीर से परे समरकंद से लेकर सिंहल तक फैले विशालकाय अखंड भारत में घटी उन घटनाओं का क्रमिक विवरण है जिसके द्वारा वर्तमान हिंदू सभ्यता ने ही आकार ग्रहण नहीं किया बल्कि मिस्र, सुमेर, चीन आदि की सभ्यताओं को उपादान दिये।
पुराणों की चमत्कारिक भाषा को डिकोड कर और पुरातात्विक अभिलेखों, पुरातात्विक अवशेषों के आलोक में उस युग की जीवंत ऐतिहासिक यात्रा कीजिये।
अपनी महान हिंदू सभ्यता को वैज्ञानिक इतिहास के आलोक में अध्ययन कीजिये, आपकी आस्था अपने दैवीय महानायकों में और अधिक दृढ़ हो जाएगी।
अपने बच्चों को वैज्ञानिक इतिहास का अभेद्य वैचारिक कवच पहनाइये कि कोई वामपंथी तर्क तीर उसे भेद न सके।